Monday, 30 June 2008

तिजारा

ॐ श्री चन्द्रप्रभु जिनेन्द्राय नमः


देहरे के श्री चंद्रप्रभु भगवान के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम







जहाँ से भगवान चंद्रप्रभु की प्रतिमा प्रकट हुई













Saturday, 28 June 2008

कुछ प्रसिद्ध एतिहासिक जैन पुरुष

जय जिनेन्द्र ,इस विषय में हम कुछ प्रसिद्ध जैन महापुरुष के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करेंगे जिन्हें या तो हम सिर्फ नाम से जानते हैं या जानते ही नहीं हैं यह सब जानकारी मैंने जैन दर्शन गणित नामक पुस्तक से ली है अगर आपको किसी भी तरह की कोई शंका हो तो मुझे बताएं मैं उसे दूर करने की पूरी कोशिश करूँगा अथवा आप इस पुस्तक से भी जानकारी प्राप्त कर सकतें हैं

|| दर्शन पाठ ||

प्रभु पतित पवन, मैं अपावन चरण आयो शरण जी
यो विरद आप निहार स्वामी, मेट जमन मरण जी
तुम न पिछान्या आन्य मान्य देव विविध प्रकार जी
या बुद्धि सेती निज न जानयो भ्रम गिन्यो हित्कारजी
भव विकट वन में करम वेरी ज्ञान धन मेरो हरयो
तब इष्ठ भुल्यो भ्रष्ठ होए अनिष्ठ घडी धरतो फिरयो
धन घडी यो धन दिवस यो ही धन जनम मेरो भयो
अब भाग्य मेरो उदय आयो दरस प्रभु को लख लयो
छवि वीतरागी नग्न मुद्रा दृष्टि नासा पे धरे
वसु प्रतिहार्य अनंत गुण ज्युत कोटी रवि छवि को हरे
मिट गयो मिथायत मेरो उदय रवि आतम भयो
मो उर हरश ऐसो भयो मनु रंक चिंतामणि लयो
मैं हाथ जोड़ी नमाऊ मस्तक विनहू तव चरण जी
सर्वोतकृष्ट त्रिलोकपति जिन सनहू तारण तरन जी
याचू नहीं सुरवास पुनि नर राज परिजन साथ जी
"बुध" याचाहू तुम भक्ति भव भव दीजिये शिवनाथजी

Friday, 27 June 2008

एक नई शुरुआत


जय जिनेन्द्र,
आज से कुछ 1.5 साल पहले हमने jains unlimited की शुरुआत की थी और आज हम एक नए पड़ाव पर हैं आप सभी को ये जान कर प्रसन्नता होगी की आज हम जैन धर्म के बारे में एक नई साईट की शुरुआत कर रहे हैं इस कार्य में हमें आप सभी के सहयोग की अति आवयशकता है